Ras Kise Kahate Hain

रस किसे कहते हैं, परिभाषा, भेद, उदहारण – Ras Kise Kahate Hain

Ras Kise Kahate Hain दोस्तों आज हमने रस किसे कहते हैं? पर लेख लिखा है| विद्यालयों में कक्षा पांचवी से दसवीं तक हिंदी व्याकरण में रस के बारे में पढ़ाया जाता है, परन्तु कई सारे बच्चे इससे समझने में समक्ष नहीं हो पाते हैं, इसलिए आज हमने, इस आर्टिकल में रस के बारे में आपको आसान से आसान भाषा में सब कुछ समझाया है|

Ras Kise Kahate Hain in Hindi – रस की परिभाषा

आसान भाषा में रस की निम्न परिभाषाये होती है:

  • रस का अर्थ होता है आनंद, अर्थात हमे जिस काव्यांश को पढ़के, सुनके, या बोलके जो आनंद मिले उसे रस कहते हैं|
  • किसी काव्य को सुनने या बोलने से जिस आनंद की प्राप्ति हो, उसे रस कहते हैं|

उदहारण – बसों मेरे नैनन में नंदलाल,
मोर मुकुट मकराकृत कुण्डल, अरुण तिलक दिये भाल||

रस के अंग – Ras Ke Kitne Ang Hote Hain 

मुख्य रूप से रस के चार अंग होते हैं:

1. स्थायी भाव – जो भाव मनुष्यो के जीवन में उपस्थित होते हैं, उसे स्थायी भाव कहा कहते हैं|

2. विभाव – जो भी चीज़ जैसे कोई पदार्थ या वास्तु मनुष्य के दिल में स्थायी भावो को जगाये या उतपन्न , उसे विभाव कहते हैं| इसके 2 प्रकार होते हैं: (1.) आलंबन विभाव (2.) उद्दीपन विभाव

3. अनुभाव – विभाव से जो भी भावो की उत्त्पत्ति होती है, उन्हें बहार प्रकाशित करने वाले भावो को अनुभाव कहते हैं|

उदहारण –

  • दिल जोर से धड़कना|
  • गुस्से में लाल पीले हो जाना|

4. संचारी भाव – जो भाव स्थायी भावो के साथ मिलकर लुप्त हो जाते हैं, उन्हें संचारी भाव कहते हैं| इसके 33 भाग होते हैं जैसे हर्ष, शंका आदि

Ras Ke Bhed in Hindi- रस के भेद एवं प्रकार

मुख्य रूप से रस के 10 भेद होते हैं, और इन सभी के स्थायी भाव अलग अलग होते हैं:

  1. श्रृंगार रस, स्थायी भाव – रति
  2. हास्य रस, स्थायी भाव – हास
  3. करुण रस, स्थायी भाव – शोक
  4. रौद्र रस, स्थायी भाव – क्रोध
  5. वीभत्स रस, स्थायी भाव – जुगुत्सा
  6. भयानक रस, स्थायी भाव – भय
  7. अद्भुत रस, स्थायी भाव – विस्मय
  8. वीर रस, स्थायी भाव – उत्साह
  9. शांत रस, स्थायी भाव – शम
  10. वातसल्य रस, स्थायी भाव – वातसल्य

रस के भेदो की परिभाषा

श्रृंगार रस की परिभाषा – Shringar Ras Kise Khate Hain 

इसका स्थायी भाव रति है, नर-नारी के संयोग से उतपन्न होने वाले रस को, श्रृंगार रस कहते हैं| उनके मिलने पर उतपन होने वाले रस को संयोग श्रृंगार और उनके अलग यानी बिछड़ने पर उतपन होने वाले रस को विभोग श्रृंगार कहते हैं|

उदहारण – कहत, नटत, रीझत, खीझत, मिलत, खिलत, लानियात भरे भोन में करत है, नैनून ही से बात|

हास्य रस की परिभाषा – Hasya Ras Kise Khate Hain

इसका स्थायी भाव हास है, जब भी किसी व्यक्ति की अटपटी बात सुनके, हंसी आ जाये, अर्थात हास भाव की उत्पत्ति हो| उसे हास्य रस कहते हैं|

उदहारण – सिरा ठपर गंगा हसे,
भुजानि में भुजंगा हसे|| 

करुण रस की परिभाषा – Karun Ras Kise Khate Hain  

इसका स्थायी भाव शोक है, जब भी हमारे किसी प्रिय व्यक्ति की मृत्यु या किसी वस्तु विनाश हो जाने पर जो रस उतपन्न होता है, उसे करुण रस कहा जाता है|

उदहारण – हाय राम ना जाने कैसे श्याम की मौत हो गई|

रौद्र रस की परिभाषा – Rodra Ras Kise Khate Hain  

इसका स्थायी भाव क्रोध है, जब भी किसी भी बात या घटना के दौरान हमारे मन में क्रोध या गुस्सा उतपन हो, उसे रौद्र रस कहते हैं|

उदहारण – किसी के समय पर ना ने पर जो भाव (गुस्सा) हमारे मन में उतपन होता है, उसे ही रौद्र रस कहते हैं|

वीभत्स रस की परिभाषा – Vibhats Ras Kise Khate Hain  

इसका स्थायी भाव जुगुत्सा है, जब किसी वस्तु, इंसान आदि का ऐसा वर्णन करे, जिसे मन में उसके लिए घृणा उत्पन्न हो, उसे वीभत्स रस कहते हैं|

उदहारण – सिर पर बैठो काग आँखि दोउ खात निक़ारता,
खींचत जीभी स्यार अतिहि|

भयानक रस की परिभाषा – Bhayanak Ras Kise Khate Hain

इसका स्थायी भाव भय है, जब किसी कारण या घटना की वजह से मन में भय की उत्पत्ति हो, उसे भयानक रस कहते हैं|

उदहारण – कई सारे लोगो को अँधेरे से भय होता है|

अद्भुत रस की परिभाषा – Adhbhut Ras Kise Khate Hain  

इसका स्थायी भाव विस्मय है, जब हम कुछ अधभुत देखले तो मन में विस्मय भाव की उत्पत्ति होती है, इसे ही अद्भुत रस कहते हैं|

उदहारण – आज मेने शेर देखा, अपनी आँखों के सामने|

वीर रस की परिभाषा – Veer Ras Kise Khate Hain  

इसका स्थायी भाव उत्साह है, युद्ध या कुछ बड़ा करने जाने से पहले मन में जो उत्साह का भाव उत्तपन होता है, उसे वीर रस कहते हैं|

उदहारण – युधि भूमि में लड़ने जाने से पहले अर्जुन बहुत उत्साहित था|

शांत रस की परिभाषा – Shant Ras Kise Khate Hain  

इसका स्थायी भाव शम है, जब भी हम भगवन की श्रदा में ध्यान लगाते हैं तो, जो रस उतपन्न होता है, उसे शांत रस कहते हैं|

उदहारण – प्रातः काल भगवन की भगति में लेना होना|

वातसल्य रस की परिभाषा – Vatsalya Ras Kise Khate Hain

इसका स्थायी भाव वातसल्य है, जहा भी शिशु अर्थात बच्चे के प्रति प्रेम भाव की उत्पत्ति होती है, उसे वातसल्य रस कहते हैं|

उदहारण – यह बच्चा कितने सुन्दर है|

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Rahul हिंदी ब्लॉग इंडस्ट्री के प्रमुख लेखकों में से एक हैं, इनकी पढ़ाई-लिखाई, टेक्नोलॉजी, आदि विषय में असीम रूचि होने के कारण, इन्होने ब्लोग्स के जरिये लोगो की मदद करके अपना करियर बनाने का एक अनोखा एवं बेहतरीन फैसला लिया है|

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